Kavita Jha

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मैं जैसी हूं वैसी ही भली हूं

मैं जैसी हूँ वैसी ही भली हूँ
नहीं बदलना चाहती मैं खुद को
ना आपके लिए ना उसके लिए
ना ही किसी और के लिए

अगर आपको पसंद हूँ तो
यह आपकी खुदकिस्मती
और अगर नहीं तो
यह आपकी बदकिस्मती

मैं जैसी हूँ वैसे ही भली हूँ
नहीं बदलना मुझे खुद को
किसी के लिए
मैं खुद को हूँ पसंद
बस फिर किस बात का है गम

मेरा रंग रुप देखकर आप मुझे
पसंद ना पसंद करेंगे
जो कि क्षणभर का है वहम
आपके इन नयनों का
मेरे गुण अवगुण ये आपके
नयन समझ नहीं पाऐंगे

आप मुझे मेरी बदसूरती से
भले ही कर दे अस्वीकार
पर मेरे मन के खूबसूरत विचार जो है
आपकी समझ के बाहर
जो मुझे खुद को सबसे
खूबसूरत होने का एहसास दिलाते हैं
उन्हें अपने से कभी दूर ना होने दूंगी

मैं जैसी हूँ वैसी ही भली हूँ
नहीं बदलना मुझे खुद को किसी के लिए

मेरा रहन सहन खान पान बोल चाल
चाहे सब बदल डालो तुम पर
मैं खुद को नहीं बदलूंगी किसीके लिए

मुझे जो लगता है बुरा
मैं आपके सामने तुरंत बता देती हू़
पीठ पीछे बुराई करना मेरी आदत में शामिल नहीं

गलत देख नहीं पाती हूँ
अपनी आवाज उठाती हूँ
जो शायद आपको पसंद नहीं आती है मेरी ये आदते
यही आदते तो मेरी पहचान है जो मुझे है भाती
इसलिए तो मैं खुद को कभी बदलना नहीं चाहती

मैं जैसी हूँ वैसी ही भली हूँ
नहीं बदलना मुझे किसी के लिए

हर पल कुछ नया सीखने की ललक
जो रहती है मेरे मन में
आप उसे समझते है चाहे मेरा फ़ितूर
पर हम तो अपनी इसी अदा पर है क़ातिल

बहुत पसंद है हमको अपनी
कुछ नया सीखने की चाहते
जिसे आप हमेशा अपने
नकारात्मक रवईयै से टोकते हो
और करते हो मेरे इस फ़ितूर को
रोकने की कोशिश

तो हम नहीं बदलने वाले खुद को
कर लो चाहे तुम लाख यत्न
हम तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे

इसलिए तो कहती हूँ
मैं जैसी हूँ वैसी ही भली हूँ
नहीं बदलना मुझे खुद को
ना आपके लिए ना उसके लिए और
ना किसी और के लिए

****
स्वरचित और मौलिक
कविता की कविता


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4 Comments

Fiza Tanvi

29-Sep-2021 10:21 AM

Good

Reply

Seema Priyadarshini sahay

21-Sep-2021 05:58 PM

बहुत सुंदर रचना

Reply

Gunjan Kamal

21-Sep-2021 04:03 PM

वाह मैम बहुत खूब

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